तेरी यादें - जब हर खामोशी तेरा नाम लेने लगे...
कुछ रिश्ते भले ही अधूरे रह जाते हैं, लेकिन उनकी यादें हर लम्हे में पूरी तरह से जिंदा रहती हैं।
यादें, जो वक्त के साथ फीकी नहीं, बल्कि और भी गहराई से दिल में बस जाती हैं। कभी मुस्कान बनकर उभरती है, तो कभी ख़ामोशी में आसू बनकर बह जाती है।
इस पोस्ट में हमने उन्हीं अनकहे जज़्बातों और अधूरी बातों को पंक्तियों में पिरोया है -
"तेरी यादें" के रूप में।
1. हर खामोशी में तेरा नाम सुनाई देता है
लगता है तू अब भी मेरी तन्हाई में रहती है।
2. तेरी यादें उस किताब की तरह हैं,
जिसे रोज़ खोलता हूँ, मगर पढ़ नहीं पाता।
3. वो लम्हे आज भी दिल में साँस लेते हैं,
जब तू मेरा था और मैं सिर्फ़ तेरा।
4. तेरी तस्वीर अब भी दीवार पर है,
फर्क बस इतना है… अब वो मुस्कुराती नहीं।
5. तेरी यादें बारिश की बूंदों जैसी हैं,
छूती हैं खामोशी से… और भीगा देती हैं दिल।
6. तू चला गया, मगर तेरी यादें अब भी कहती हैं,
“मैं यहीं हूँ… बस तुझसे कह नहीं सकती।”
7. यादें तेरी, सांसों का हिस्सा बन गई हैं,
अब जिएं तो तुझमें… और मरें तो तेरे साथ।
8. तेरी हर बात आज भी दिल में गूंजती है,
जैसे तू कहीं दूर नहीं, बस आंखों से ओझल है।
9. जिस्म से तू दूर सही,
पर तेरी यादें रूह की तरह मेरे साथ हैं।
10. तेरी यादों का मौसम हर दिन लौट आता है,
ना कोई बहाना चाहिए, ना कोई वजह।
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